टी.वी. सबका दुश्मन
टी.वी. सबका दुश्मन
"टी.वी के कारण आज जितना समय बर्बाद हो रहा है , उतना इतिहास मे कभी किसी दूसरी वजह से नहीं हुआ" - वैसे फेसबुक भी बहुत तेज़ी से इस श्रेणी मे आता जा रहा है। मोबइल ओर टी.वी. के कई दुष्प्रभाव होते है , लेकिन हम यहा पर केवल समय की बर्बादी के बारे मे बात करेंगे । एक सर्वे मे यह पाया गया की लोग हर सप्ताह लगभग 17 घंटे टी.वी. देखते है यानी लगभग ढ़ाई घंटे प्रतिदिन । इसका मतलब है की लोग हर दिन अपने पास उपलब्ध सक्रिय समय का 20 प्रतिशत हिस्सा टी.वी. देखने मे गवा रहे है।
जरा गौर से सोचे ,अगर आपने टी.वी. नहीं देखा , तो क्या आफत आ जाएगी? अक्सर होता यह है की हम यह सोचकर टी.वी. देखने बैठते है की बस आधा घंटे देखूगा। आधा घंटे बाद दूसरे चैनल पर कोई अच्छा कार्यक्रम दिख जाता है ओर इस तरह कब दो घंटे हो जाते है, पता हि नही चलता। इस चक्कर मे आपके बहुत से जरूरी काम अधूरे रह जाते है। टी.वी. के बहुत से समर्थक इसके शैक्षिक महत्व का दावा करते हैं, लेकिन मुझे तो आज तक ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिला, जो सिर्फ़ शैक्षिक महत्व के लिए टी.वी. देखता हो। अगर शिक्षा ही ग्रहण करनी है, तो टी.वी. से बेहतर विकल्प मौजूद हैं : पुस्तकें पढ़ें या इंटरनेट से जानकारी लें वैसे यदि आप टी. वी. पर केवल ज्ञानवर्धक कार्यक्रम ही देखते हैं, तो यह अध्याय आपके लिए नहीं है।मेरे एक परिचित हैं, जिनके यहाँ टी.वी. सुबह से रात तक चलता रहता है। सुबह वे खुद न्यूज़ देखते हैं, बीच-बीच में बच्चे स्कूल जाने से पहले कार्टून देख लेते हैं, दोपहर में पत्नी के सीरियल्स और गाने चलते हैं, शाम को वे खुद घर लौटकर न्यूज़ और सीरियल्स देखते हैं, बीच-बीच में बच्चों के कार्टून चलते रहते हैं। यानी पूरा दिन टी.वी. के प्रति ही समर्पित होता है। टी.वी. उनके परिवार का एक स्थायी और सबसे महत्वपूर्ण सदस्य बन चुका है। और तो ओर, वे खाना भी टी.वी. देखते हुए ही खाते हैं,जिससे न तो उन्हें खाने का स्वाद आता है, न ही उन्हें यह अंदाज़ा रहता है कि वे कितना खा गए। नतीजा यह होता है कि वे ज़रूरत से ज़्यादा खा जाते हैं और दिनोदिन मोटे होते जाते हैं।
बच्चे कितनी देर तक टी.वी. देखते हैं, इसका हित लगाना मुश्किल होता है। इसका एक उदाहरण देखें । चौथे ग्रेड की क्लास में एक सर्वे किया गया कि विद्यार्थी कितने घंटे टी.वी. देखते हैं। तब उस क्लास में अमेरिकी संगीतकार रॉब जॉम्बी भी पढ़ते थे। रॉब के शिक्षकों के होश उड़ गए , जब उन्हें यह पता चला कि रॉब एक दिन में नौ घंटे टी.वी. देखता है। उन्होंने रॉब से पूछा कि रात को देर तक जागे बिना वह इतने समय टी.वी. कैसे देख लेता है। उसका जवाब था, "मैं सुबह जल्दी उठ जाता हूँ और कई बार तो मुझे कृषि संबंधी कार्यक्रम देखने पड़ते हैं, क्योंकि इतनी सुबह वही कार्यक्रम आते हैं।' इस प्रसंग को कई साल हो चुके हैं। अब तो चौबीसों घंटे मनपसंद कार्यक्रम चलते रहते हैं और अपने मन पर क़ाबू रखने के लिए काफ़ी अनुशासन की ज़रूरत होती है।
यदि आप अपने समय का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करना चाहते हैं, तो टी. वी. के संदर्भ में सावधान रहें
अख़बार टी.वी. की तुलना में जानकारी का बेहतर साधन है। अख़बार हमें पूरे संसार की जानकारी देता है और हमारा ज्ञान बढ़ाता है, लेकिन इसके दूसरे पहलू पर भी नज़र डालकर देख लें : अगर सचिन तेंदुलकर ने अपने क्रिकेट करियर का १00वाँ शतक बना दिया, तो उसके विस्तृत विवरण पढ़ने से क्या लाभ है, जब तक कि आपकी क्रिकेट में रुचि न हो ? कैटरीना कैफ़ या सलमान खान के प्रेम प्रसंगों के बारे में पढ़ने से आपको क्षणिक आनंद के सिवा क्या मिल रहा है ? अख़बार में पढ़ने के लिए चटपटी या मसालेदार ख़बरों के बजाय केवल सकारात्मक और ज्ञानवर्धक ख़बरें ही चुनें, क्योंकि इस तरह आपका बहुत सा समय बच सकता है।
महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि अपने काम से काम रखें और दीगर बातों को नज़रअंदाज़ कर दें। ...और यह बात टी.वी. ओर अख़बार के संदर्भ में ही नहीं, हर चीज़ पर लागू होती है। ब्रिटिश गायक क्रैग डेविड जैसे न बनें,जो हर दिन पनी दाढ़ी सँवारने में 40 मिनट बर्बाद कर देते थे। अगर आप इस सिद्धांत पर अमल करते हैं, तो आप कम से कम आधे घंटे का समय बचा लेंगे, जिसमें आप अपने महत्वपूर्ण काम निबटा सकते हैं।
1.सुबह जल्दी उठने के फायदे.........
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Thankyou Dear.... For your best review and For giving your precious Time.