लॉकडाउन के बाद मेरा छोटा बिज़नेस


मेरे प्यारे देशवासीओ, 

                                   आप को तो मालूम ही हे इस समय हमारे देश में कितना बड़ा संकट आन पड़ा हे। सॉरी देश नहीं , पूरी की पूरी दुनिया में आन पड़ा हे। इस संकट से तो हम निपट लेंगे पर उसके बाद जो इससे भी बड़ा संकट होने वाला हे उससे कैसे निपटोगे, जी हा मेरा मतलब हे गरीबी, बेरोजगारी, बेकारी, भूख और  हिंसा। अगर तू ये सब से जीतेगा तो ही जिंदा रह पायेगा, वरना तू भी मोत के मुँह में जायेगा और तेरे बाल बच्चो को भी साथ में ले जायेगा। 

छोड़िये ये सब बाते चलते हे आज के हमारे पहले छोटे से बिज़नेस आईडिया पर । 

                                   तो दोस्तों अगर आपने हमारी चेनल को अभीतक Subscribe नहीं किया तो जल्दी से Subscribe करे और बेल आइकॉन पे क्लीक करे। सॉरी यूट्यूब देखते देखते याद रह गया हे अब तो। 

बिज़नेस उर्फ़ ( धंधा = व्यापार )


                                   बिज़नेस ये जो शब्द हेना बड़े ही कम्माल का है। जो समज गया वो बाज़ी मार गया और रोड पर से आसमान पे आ गया। 

                                   एक छोटा सा बिज़नेस जिसका नाम तो पता नहीं पर लोग उसे ठेला लगाना केहते है। अब आप ये कहोगे की ये थोड़ा कोई बिज़नेस है। आप लोगो को पता नहीं होगा की इन्कमटेक्स वालो ने कई बार चाय वाले के यहाँ, भजिया(पकोड़े) वाले के यहाँ, पानीपुरी वाले के यहाँ, ढोसा वाले के यहाँ रेड(छापा) मारा है। ठीक हे...... 

                                    अब आप ये सोचोंगे की ठेला लगाए तो किस चीज़ का लगाए। तो आइये में ये आपको बताता हु एक रोमांचक स्टोरी के ज़रिये। 
                                                                                                                                                                   

                                    ये बात सूरत शहर की हे जो भारत का डायमंड सिटी कहा जाता है। 2011 का वो साल था जब पुरे भारत में मंदी का माहौल था। सूरत में काम कर रहे डायमंड के कारीगरों को काम में से निकाला जा रहा था। एक दिन हमारे भविष्य के ठेले वाले को भी निकाला गया। तभी इस आदमी को उसकी बीबी ने एक आईडिया दिया की आप हमारे बिल्डिंग के निचे लोचे का ठेला लगाओ। यहाँ क्यू, क्युकी हम जहा रहते हे वो पूरा साडिओ का मार्केट हे दूर दूर से यहाँ सब सगाई, शादी वगेरे की शॉपिंग के लिए आते है। में घर पर रहती हु इसलिए मुझे पता हे की यहाँ जो शॉपिंग के लिए आते हे उसे नास्ता-पानी नजदीक में कही नहीं मिलता। 

सुरति लोचा 

                                   लोचा मतलब सूरत शहर की सबसे फेमस आइटम, 80 % सुरति लोगो का रविवार खमण और लोचा खाये बिना अधूरा हे। 

                                   पर जनाब ये पति देव ठेला लगाने में मानेगे कैसे क्युकी इसमें थोड़ा पैसा तो कमाएगे मगर इज्जत कहाँसे कमाए भाई । हमारे भारत का सबसे बड़ा और बेवकूफी वाला विचार हे ये, सही बोले ना हम...

                                   दिन बीतते गए नया कोई काम नहीं मिल रहा था, घर में पैसे कही से आ नहीं रहे थे। तब इसे बीवी का कहा मानना ही पड़ा। अगले दिन सुबह उठकर रिस्तेदार के पास जाकर 10,000 रुपए उधार ले आया और फिर ठेला लेने के लिए भंगार वाले के पास गया, पुराना ठेला लिया घर आके कलर किया और ठीक ठाक नए जैसा ही बना दिया। फिर लेकर आया लोचा बनानेका सब सामान जैसे की छोटा-बड़ा पतीला, गैस, चूल्हा, डिस, नाम बोर्ड वगेरा... 

                                   सब काम ख़तम हो जाने ते तीसरे ही दिन उसने अपने ठेले का शुभआरंभ किया। धीरे धीरे ठेला चलता गया। पुरे प्यार और मेहनत से वो अपना काम करता था । उसकी बीबी सारे काम में उसका हाथ बटाती थी। यहाँ शॉपिंग के लिए आने वाले लोगो को नजदीक में नास्ता मिलने लगा। देखते ही देखते ये ठेला इतना फेमस हो गया की दूर दूर से सिर्फ इसका लोचा खाने के लिए लोग आने लगे। छोटे बच्चे स्कूल के टिफिन में ले जाने के लिए जिद्द करते है , कॉलेज की लड़किया 15-20 किलोमीटर दूर से यहाँ आती है। इसका बड़ा कारण ये भी था की ये अपनी "Quality" सबसे बढ़िया रखता हे और सबको पसंद आये इसके लिए चटनी और कांदा अनलिमिटेड देता है । 

            " दिन में 12000 से भी ज्यादा का ये धंधा करता है और उसमे 40% तक का मुनाफा होता है। "

                                   सिर्फ 2 या 3 सालो में तो भाड़े का फ्लेट अपना कर लिया और देखते ही देखते अपना बुलेट, बीबी की एक्टिवा, एक बड़ी कार और बेटी के लिए इंग्लिश मीडियम की ऊंची फीस वाली स्कूल में एडमीशन। वाह भाई वाह मान तो  तब गए जब 30 लाख की अपनी खुद की दुकान ले ली। 

   तब समज में आया की कोई भी धंधा छोटा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई ...... "


इनसे हमें क्या सिखने को मिला :-

1 ) कोई भी धंधा करो क्युकी छोटा बड़ा कुछ नहीं होता सब पेहले छोटे ही होते हे बाद में बड़े बनते है। 
2 ) सही Location ( ठिकाना ) पकड़ो जहा हमारे ठेले की जरुरत है। 
3 ) अपने कस्टमर से प्यार और इज्जत से पेस आये। 
4 ) कस्टमर को अच्छी Quality चाहिए। 
5 ) सब को फ्री का कुछ दो।

                                      तो इस लॉकडाउन के बाद आप कोन सा बिज़नेस करने वाले हो हमें कमेंट जरूर कीजिये और आपके पास भी कोई अच्छे आईडिया है तो हमें बताइये। 


 Thank you so much,

8 टिप्‍पणियां:

Thankyou Dear.... For your best review and For giving your precious Time.

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